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स्वनिम पत्रिका

गुरु घासीदास विश्‍वविद्यालय,बिलासपुर

मुख्य

हमारे बारे में

परिचय / About Us

‘स्वनिम’ हिन्दी विभाग, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ की एक संस्थागत पत्रिका है। यह हिन्दी के सर्जनात्मक साहित्य, शोध और आलोचना पर केन्द्रित पूर्वसमीक्षित (Peer Reviewed) व संदर्भित त्रैमासिक पत्रिका है। पत्रिका की मूल विषयवस्तु में हिन्दी साहित्य की प्रमुख विधाएँ शामिल की गई हैं। वास्तव में साहित्य की नाना विधाओं में नवोन्मेष की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का हमेशा से ऐतिहासिक महत्त्व रहा है। छायावाद की पहली आलोचना मुकुटधर पांडेय ने यहीं से लिखी थी। यशस्वी लेखक माधवराव सप्रे ने पड़ोस के पेंड्रा कस्बा, जो कि अब जिला मुख्यालय हो चुका है, यहीं रहते हुए हिंदी की पहली कहानी ‘टोकरी भर मिट्टी’ लिखी थी। ‘एक भारतीय आत्मा’ कहे जाने वाले पंडित माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘पुष्प की अभिलाषा’ जैसी कविता, जो कालांतर में स्वाधीनता संग्राम का राष्ट्रीय स्वर बन गयी, उसे बिलासपुर के केंद्रीय जेल में रहते हुए लिखा था। ऐसे में यहां के हिन्दी विभाग की रचनात्मक पहल के स्वरूप ‘स्वनिम’ पत्रिका का सम्पादन और प्रकाशन की ऐतिहासिक शुरुआत है। हिन्दी विभाग की यह शुरुआत निश्चय ही शोध व साहित्य के खाली छूट गए पन्नों को भरने का कार्य करेगी। हिन्दी साहित्य में नवाचार हेतु पत्रिका प्रतिबद्ध है। यह उसका मूल दायित्व है।

यह पत्रिका ऑनलाइन माध्यम से प्रकाशित होती है जो कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ की वेबसाइट पर प्रकाशित होती है। पत्रिका में हिन्दी साहित्य, समाज, संस्कृति व इतिहास से संबन्धित विषयों पर रचनाएं स्वीकार की जाती हैं। 

स्वनिम पत्रिका

क्षेत्र व उद्देश्य

आज हिन्दी में पत्रिकाओं की कोई कमी नहीं है। ‘हंस’, ‘कथादेश’, ‘पाखी’, ‘शब्दिता’, 'कथाक्रम', 'अकार' और 'तद्भव' के क्रम में सैकड़ों नाम हैं जो अव्यावसायिक स्वरूप में निहायत निजी प्रयासों और संसाधनों के बल पर निरंतर निकल रही हैं तब एक बड़े और केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग को क्यों नहीं इस बड़े दायित्व में सहभागिता करनी चाहिए ? यह सवाल कई सालों से टीस बनकर रह जाती थी। बीते समय में कभी बनारस और प्रयाग साहित्य के केंद्र हुआ करते थे, आज दिल्ली, भोपाल, लखनऊ और पटना हिन्दी साहित्य के नये केंद्र बन कर उभरे हैं। ऐसे में अरपा तीरे बसे अपने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की यह कोशिश होगी कि मुकम्मल रचनाशीलता का एक ऐसा समानांतर केंद्र विकसित किया जा सके जो भले ही राष्ट्र के भौगोलिक और राजनीतिक मानचित्र के हाशिये पर अवस्थित हो, लेकिन जिसका स्वर और स्वरूप राष्ट्रीय और अखिल भारतीय हो। पत्रिका का मूल उद्देश्य साहित्य में पीछे छूट गए उन सभी तथ्यों व पक्षों को रेखांकित करना है। हिन्दी साहित्य और इससे संबन्धित अन्य अनुशासनों में जो कुछ भी अच्छा लिखा व पढ़ा जा रहा है उन सभी को प्रकाशित करना है। आज भी हिन्दी साहित्य के भीतर कई ऐसे पक्ष हैं जिन्हें रेखांकित किया जाना बाकी है। इस पत्रिका में हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं के अंदर नवाचार को शामिल किया जाएगा।

संक्षिप्त विवरण

नाम स्वनिम
आवृत्ति त्रैमासिक
भाषा हिन्दी 
ISSN XXXX-XXXX
समीक्षा प्रक्रिया पूर्व समीक्षित (Peer Reviewed)
प्रकाशक कुलसचिव, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, कोनी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
संपादक प्रो. गौरी त्रिपाठी
शुरुआत वर्ष 2022
विषय क्षेत्र हिन्दी साहित्य, भाषा व अन्य अंतरानुशासनिक अध्ययन
प्रकाशन फॉर्मेट ऑनलाइन/ऑफ़लाइन
ईमेल registrar-ggv@ggu.ac.in, swanimhindiggv@gmail.com 
संपादक (Editor)

डॉ. गौरी त्रिपाठी

आचार्य एवम् विभागाध्यक्ष

हिन्दी विभाग

गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ - 495009

मोबाइल: 9452206059, 6387712781

ई-मेल: tripathigauri07@gmail.com

विभाग का दृष्टि
  • हिन्दी की साहित्यिक सृजनशीलता को बढ़ावा देना । 
  • हिन्दी साहित्य और समाज के अंतरसंबंधों को रेखांकित करना । 
  • भारतीय संस्कृति और मूल्यों का संरक्षण एवं प्रचार। 
  • हिन्दी भाषा के विकास और प्रचार-प्रसार में योगदान देना तथा उसकी साहित्यिक गरिमा को बनाए रखना।
  • सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर जनचेतना फैलाना।
  • उभरते हुए लेखकों, कवियों और विचारकों को अपने विचार व्यक्त करने का अवसर देना।
  • रचनात्मक, समाधानपरक और प्रेरणादायक सामग्री प्रस्तुत करना।
  • समावेशी दृष्टिकोण अपनाना। 
  • शैक्षिक और बौद्धिक विकास में सहायक बनना। 
  • बदलते समय की प्रासंगिकता को दर्ज करना । 
  • नैतिक मूल्यों का संवर्धन। 
  • लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सशक्त बनाना। 

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